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________________ [१६] मुणी, कुलस्स चूमि जाणित्ता, मियं जूमि परकमे ॥२४॥ तत्थेव पमिलेहेजा, जूमिनागविअख्खणो, सिणाणस्स य वच्चस्त, संलोग परिवजए ॥२५॥ दगमट्टियआयाणे, बीयाणि हरियाणि अ, परिवज्जंतो चिट्ठिज्झा,तविदिअ समादिए, ॥ २६ ॥ तत्थ से चिट्ठमाणस्स, आहारे पाणजोधणं, अकप्पियं न इच्छिज्जा, पमिगाहिज कप्पियं ॥ २७॥ आहारती सिया तत्थ, परिसामिज्झ नोअणं, दित्तियं पडियारके, न मे कप्पर तारिसं ॥२॥संमदमाणी पाणाणि, बीयाणि हरियाणि श्र। असंजमकर नच्चा, तारिसं परिवजए ॥ श्ए ॥ साइड निख्खिवित्ता णं, सचित्तं घट्टियाणि य, तदेव समणुठाए, उ. दगं संपणुखिया ॥३०॥योगाहश्त्ता चलश्त्ता, थाहारे पाणनोअणं, दित्तियं पडियाख्खे, न मे कप्पइ तारिसं ॥३१॥ पुरेकम्मेण हत्थेण, दबीए जायणेण वा। दित्तियं पडियारके, न मे कप्पर तारिसं ॥ ३॥ एवं उदउबे सस
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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