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असन्नि-सन्नीण नव दस य ॥७॥ धम्माऽधम्मागासा, तिय तिय नेया तहेव अद्धा य ॥ खंधा देस पएसा, परमाणु अजीव घउदसहा ॥॥ धम्माऽधम्मा पुग्गल, नह कालो पंच हुँति अजीवा ॥ चलणसहावो धम्मो, थिरसंगणो अहम्मो य॥ए॥ श्रवगाहो आगासं, पु. ग्गलजीवाण पुग्गला चउहा ॥ खंधा देस पएसा, परणाणू चेव नायवा ॥१०॥ सबंधयार उज्जोय, पजाबायातवेहि (इय)॥ वएण गंध रसा फासा, पुग्गलाणं तु लख्खणं ॥११॥ एगाकोडि सतसहि, लख्खा सत्तहुत्तरि सहस्सा य ॥ दोय सया सोलहिया, बावलिया इगमुहुत्तम्मि ॥१॥ समया वली मुहुत्ता, दोहा पख्खा य मास वरिसा य ॥ जणियो पलिया सागर, उस्सप्पिणोसपिणी कालो॥१३॥ परिणामि जीव मुत्तं, सपएसा एग खित्त किरिया य ॥ निच्चं कारण कत्ता, सवगय श्यर अप्पवेसे ॥१४॥ सा उच्चगोय मणुग, सुर• उग पंचिंदिजाइ पणदेहा ॥ बाइतितणूवंगा,