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[११] ॥ अथ श्री नवतत्त्व प्रकरण प्रारंभः ॥
जीवाऽजीवा पुणं, पावाऽसव संवरो य निजरणा ॥ बंधो मुख्खो य तहा, नवतत्ता हुंति नायव्वा ||१|| चउदस चउदस बायालीसा बासी हुति बायाला || सत्तावन्नं बारस, चन नत्र ज्ञेया कमेणेसिं ॥२॥ एगविह दुविह तिविहा, चहा पंच विहा जीवा ॥ चेयण तस इयरेहिं, वेय-गई - करण - काहिं ॥ ३ ॥ एगिंदिय सुहुमियरा, सन्नियर पििदया य सबितिचन ॥ कापजत्ता पज्जत्ता, कमेण चउदस जियढाणा ॥४॥ नाणं च दंसणं चेव, चरितं च तवो तहा ॥ वोरियं जवयोगो य, एयं जीअस्स लख्खणं ॥ ५॥ आहार' सरीर इंदिय, पज्जती खाणपाणजासमऐ ॥ च पंच पंच छप्पिय, इग विगलाsसन्नि सन्नीणं ॥ ६ ॥ पणिदिय तिबलूसा, साऊ दस पाण च ब सग अट्ठ | इग दु तिश्वजरिंदी; १ शरीरीदिय.