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११५९] बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कम्यं फलं ॥२॥ अजयं यासमाणो य, पाणतया हिंसई॥ बंधई पावयं कम्म, तं से हो कमुयं फलं ॥३॥ अजयं सयमाणो य, पाणनूयाई हिंसई॥ बंधई पावयं कम्मं; तं से हो कमुयं फलं ॥४॥ अजय मुंजमाणो य, पाणनूयाई हिंसई ॥ बंधई पावयं कम्म, तं से हो कम्यं फलं ॥५॥ अजयं नासमाणो य, पाणनूया हिंसई ॥ बंधई पावयं कम्म, तं से होश कमुयं फलं ॥६॥ कहं घरे कहं चिट्टे, कह-मासे कहं सए ॥ कहं जुजंतो भासंतो, पावकम्नं न बंधई ॥७॥ जयं चरे जयं चिठे, जय-मासे जयं सए । जयं मुंजतो नासंतो, पावकम्मं न बंधई॥७॥ सब जूयऽप्पयस्स सम्मं नूयाई पासो ॥ पिहियासवस्स दंतस्स, पावकम्मं न बंधई ॥ ए॥ पढमं नाणं तश्रो दया, एवं चिह सव्व संजए ॥ अन्नाणी किं काही, किं वा नाहीय सेय पावगं॥ १० ॥ साच्चा जाणश् कलाणं, सोच्चा