SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [१३५] खीण.॥ दारा केम जासे पीयरे, साइलि मोरी ॥५॥ आजतो बनी उदासी,तुम दरसन हती खासी ॥ परणवानी हती आसीरे, सादेखि मोरी ॥६॥जोबनीया तो केम जासे, स्वामि विना केम रहेवासे ॥ दामा पियरे केम जासे रे, सालिमोरी ॥७॥ जोता पाण जोकि मलि, थाभवनी प्रीत्ति तोडी॥ जोबनीयामां पाख्या बोमीरे, सादेलिमोरी ॥ ॥ दे तो दाजो ने मारी, स्वामि, तुमे सु विचारी ॥ तमे जोत्या हुँ हारी रे, सा॥ए॥ पशुडा बोमवी दीधा, प्रजुए अनेदान दिधा॥उदासी तो अमने कीधा, साहे. लिमोरी ॥ १० ॥ मनमां वैराग आण, सेसावनमां गया चालि ॥ संजम लिधो मन जावीरे ॥सा० ११॥राजुल विचारे एवं, सुख डे सुपनना जेवं ॥ हवे नेम प्रजु सेवुरे, साहेलिमोरी ॥१॥ करमतो जाय नासी, पहोत्या शिवपुरवासी ॥ रत्न विजय कहे शाबासीरे, साहे लिमोरी ॥१३॥ इति नेमिजिन सज्जाय.॥
SR No.022371
Book TitlePrakaran Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagardas Pragjibhai
PublisherNagardas Pragjibhai
Publication Year1932
Total Pages230
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy