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________________ सत्साधु-स्मरण-मंगलपाठ ++ ++ ++ ++ ++ ++ ++ ++ ++ S++ON++ S++S C++ श्रीउमास्वाति(मि)-स्मरण ++ -:*०*: ++ ++GEETTE ++S++ ++ ++20++ S++EC++ ++ ++S++S++ तत्त्वार्थसूत्र-कर्तारमुमास्वाति-मुनीश्वरम् । श्रुतिकेवलिदेशीयं वन्देऽहं गुण-मन्दिरम् ॥ -नगरताल्लुक-शिलालेख नं० ४६ 'तत्त्वार्थसूत्रके कर्ता उमास्वाति-मुनीश्वरकी मैं वन्दना करता हूँ हूँ-उनके श्रीचरणोंमें नतमस्तक होता हूँ जो गुणोंके मन्दिर थे और करीब करीब श्रुतकेवली थे।' श्रीमानुमास्वातिरयं यतीशस्तत्वार्थसूत्रं प्रकटीचकार । यन्मुक्तिमार्गाचरणोधतानां पाथेयमयं भवति प्रजानाम् ॥ -श्रवणबेल्गोल-शिलालेख नं० १०५ _ 'श्रीमान् उमास्वाति वे मुनीन्द्र हैं जिन्होंने उस तत्त्वार्थसूत्रको प्रकट किया है जो कि मुक्तिमार्गपर चलनेको उद्यमी प्रजाजनोंके लिये मूल्यवान पाथेय ( कलेवा ) के समान है-मोक्षमार्गपर चलनेके लिये कमर कसे हुओंकी आवश्यकताको पूरा करता हुआ उन्हें चलने में समर्थ बनानेवाला है।' ___ अभूदुमास्वातिमुनिः पवित्रे वंशे तदीये सकलार्थवेदी। सूत्रीकृतं येन जिनप्रणीतं शास्त्रार्थजातं मुनिपुङ्गवेन ॥ स प्राणिसंरक्षणसावधानो बभार योगी किल गृध्रपक्षान् । तदा प्रभृत्येव बुधा यमाहुराचार्यशब्दोत्तरगृध्रपिच्छम् ॥ -श्रवणबेल्गोल -शिलालेख नं० १०८ ++S++ ++ ++ ++ ++++ ++ ++ ++ ++ ++8 ++OO++ S++ ++ ++ @++8++EO++S++EO++ ++ ++ ++
SR No.022364
Book TitleSatsadhu Smaran Mangal Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year94
Total Pages94
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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