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दूसरा अध्याय
22. वही 23. प्रशमरति प्रकरण 11, का० 190, पृ० 132
प्रशमरति प्रकरण 11, का० 190 का हरिभद्रीय टीका पृ० 132 वही
वही 11, का० 192 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 133 27. वही 1
वही, का० 190 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 132 , वही
. प्रशमरति प्रकरण, 11, १६० की हरिभद्रीय टीका, पृ० 132 32. वही 33. वर्तुगति प्रवृत्ता.............मनुष्या देवाः । प्रशमरति प्रकरण, ११ का० की हरिभद्रीयटीका,
.. -पृ० १३२ 34. भवनयतयों .......किन्नरादयोडष्ट मैदाः। वही, पृ० 132 35. ज्योतिष्का पंच प्रकाराः सूर्योदयः। वही, पृ० 13236. वैमानिकाः सार्धावास्यादय इति। वही, पृ० 1321 37. मनुष्या आर्य............. सर्मूच्छजाश्चेति। वही, पृ०132 38. तिर्यचोडष्रेक...........पचैन्द्रिय मैदाः। वही, पृ० 132 39. वही, पृ० 132 40. द्विविधश्चराचराख्या- वही, पृ० 132 41. चराजंगमस्तै जो....अचराः स्थावराः। वही, पृ० 132 42. स्त्रिविधाः स्त्री पुनपुंसका ज्ञेयाः। वही, पृ० 132। 43. जीव भव्याभव्यत्वादि रुप। प्रशमरति प्रकरण, अवचूरि सू० 196, पृ० 223। 44. अवगाहतोङ प्य................बहु प्रकारः। प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 193 की
हरिभद्रीय टीका, पृ० 133 45. स्थिति तस्तावदनन्त पर्यायः........... स्थिति पर्यायाः। वही, पृ० 133 46. तथा ज्ञानतोडव्यनन्त......... दंसण पज्जवा। वही, पृ०132