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प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन
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द्रव्य स्वरुप :
प्रशमरति प्रकरण में द्रव्य की परिभाषा देते हुए बतलाया गया है कि द्रव्य सत् स्वरुप एवम् उत्पाद-व्यय-ग्रौव्य से युक्त है। अर्थात् जो अपने स्वभाव का परित्याग न करता हुआ उत्पत्ति, एवं ध्रुवत्व से युक्त है, वह द्रव्य कहलाता है 21
प्रशमरति प्रकरण में द्रव्य की जो परिभाषाएं दी गयी हैं, उनकी निम्नांकित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है: (क) जो सत्तावान् है, उसे द्रव्य कहते हैं। (ख) जो उत्पाद-व्यय-प्रौव्यवाला है, उसे द्रव्य कहते हैं। द्रव्य सत् रुप है:
द्रव्य का प्रथम लक्षण सत्ता स्वरुप होना है। यह द्रव्य का सामान्य लक्षण है। इसका तात्पर्य यह है कि द्रव्य सत् स्वरुप है। द्रव्य और सत्ता अलग अलग दो चीजें नहीं हैं, बल्कि दोनों अभिन्न है। सत् के बिना द्रव्य की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। यद्यपि सत् और द्रव्य स्वरुपादि की अपेक्षा भिन्न-भिन्न हैं, किन्तु यर्थाथ में वे दोनो एक ही हैं । ___ इस प्रकार सत्ता एक है, समस्त पदार्थों में स्थित एवं उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य स्वरुप है। इसकी दूसरी विशेषता यह प्रस्फुटित होती है कि द्रव्य किसी से उत्पन्न नहीं होता है तथा यह स्वयंभू और अविनाशी है। द्रव्य तो सत् स्वरुप ही है और सत् कभी असत् रुप नहीं हो सकता है, पर्याय ही उत्पन्न और विनष्ट होती रहती है। तीसरी बात यह है कि द्रव्य के इस लक्षण में द्रव्य गुणी है और सत्ता गुण है 74 ।
यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि यदि द्रव्य को सत् स्वरुप न माना जाय तो उसे असत् रुप मानना पड़ेगा, जो किसी भी भारतीय दार्शनिकों का अभीष्ट नहीं है। इसलिए सिद्ध है कि द्रव्य सत्ता स्वरुप है।
प्रशमरति प्रकरण में ही सत् को उत्पाद-व्यय-धौव्य स्वरुप वाला कहा गया है। द्रव्य का यह स्वभाव है कि वह परिणामी है। द्रव्य का परिणम न करना स्वभाव ही है और वह स्वभाव उत्पाद-व्यय और प्रौव्य सहित है। ऐसी किसी भी सत्ता की कल्पना नहीं की जा सकती है, जिसमें उत्पाद-व्यय -ध्रौव्य-ये तीन परिणाम न होते हों। वर्तमान पर्यायों का विनष्ट होना व्यय है और नवीन पर्यायों का उत्पन्न होना उनपाद और इन दोनों अवस्थाओं में प्रवाहित रखना प्रीव्य है। इसको हम उदाहारण द्वारा स्पष्ट कर सकते है- जैसे मिट्टी का पिण्ड है। उस मिट्टी के पिण्ड से द्रव्य घटादि बनाया जाता है, तो पिण्ड पर्याय का विनाश होता है और घट पर्याय का उत्पाद होता है। मिट्टी इन दोनों अवस्थाओं में मौजूद रहती है 751