________________
पूजाज्ञा विभवाधिपत्यमहिमोदनाः शिवाशापरा
स्ते भुक्त्वा पदवीर्भजति परमानंदैकसद्रिं पदम् ॥ ७९ ॥ इत्याशाधरविरचिते प्रतिष्ठासारोद्धारे जिनयज्ञकल्पापरनानि अभिषेकादिक्षिानीयो नाम पंचमोध्यायः ॥५॥
शक्तिको न छिपाकर भक्तिसहित प्रतिदिन अभिषेक पूजा करते हैं वे उत्तम मोंगोंको भो||गकर परमानंद स्वरूप मोक्ष पदको पाते हैं ॥ ७९ ॥ . इसप्रकार पं० आशाधर विरचित प्रतिष्ठासारोवारमें अभिषेकादि
विधिको कहनेवाला पांचवां अध्याय समाप्त हुआ ॥५॥
ब्लककककन्सन्छन्
-