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________________ [२६] १० सन्नी-पांच स्थावर और असन्नी मनुष्य असन्नी हैं सन्नी नहीं। ११ वेद.. पांच स्थावर और असन्नी मनुष्य में वेद पावे एक-नपुंसक। १२ पजत्ति- पांच स्थावर में पर्याप्ति पावे चार चार, आहार पर्याप्ति, शरीर पर्याप्ति, इन्द्रिय पर्याप्ति और श्वासोश्वास पर्याप्ति । असन्नी मनुष्य में चारों पर्याप्ति का अपर्याप्ता। १३ दृष्टी-पांच स्थावर और असन्नी मनुष्य में दृष्टी पावे एक-मिथ्या दृष्टी । १४ दर्शन--पांच स्थावर में दर्शन पावे एक, अचक्षु दर्शन । असन्नी मनुष्य में दर्शन पावे, दोय चक्षु दर्शन और अचक्षु दर्शन। १५ नाण-- पांच स्थावर और असन्नी मनुष्य में ज्ञान नहीं। अन्नाण-- पांच स्थावर और असन्नी मनुष्य में अज्ञान पावे दोय दोय। मति अज्ञान और श्रुत अज्ञान । १६ योग-चार स्थावर- पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, वनस्पतिकाय और असन्नी मनुष्य इन पांचों
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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