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________________ [२७] २४प्राण-नारकी और देवतामें प्राण पावेदश दश। २५योग-नारकी और देवतामें योग पावे तीन ही ५ स्थावर और असन्नी मनुष्य का अधिकार कहते हैं १शरीर-चार स्थावर-१ पृथ्वीकाय २ - 'पकाय, ३तेउकाय, ४ वनस्पतिकाय और प्रसन्नी मनुष्य, इन पांचों में शरीर पावे तीन औदारिक, तैजस और काण । वायुकाय में शरीर पावे चार.. औदारिक, वैक्रिय, तैजस और कार्मण । २ अवगाहना-- पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, वायुकाय, और प्रसन्नी मनुष्य इन पांचों की अव. गाहना ज० अंगुल के असंख्यात में भाग, उत्कृष्टी अंगुल के असंख्यात में भाग , ज० से उत्कृष्टी असंख्यात गुणी । वनस्पति काय की अवगाहना- ज. अंगुलके असंख्यात में भाग, उत्कृष्टी १००० जोजन जाझेरी कमलादि की अपेक्षा से। ३ संघयण- पांच स्थावर और असन्नी मनुष्य में संघयण पावे एक छेवट ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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