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________________ [ 2 ] लाषा करने को संज्ञा कहते हैं, उस के चार भेद हैं१ आहार संज्ञा, २ भय संज्ञा, ३ मैथुन संज्ञा, ४ परिग्रह संज्ञा । ७ लेश्या द्वार लेश्या किसको कहते हैं? कषाय के उदद्य सहित योग की प्रवृत्ति को लेश्या कहते हैं, उस के छह भेद हैं । १ कृष्णलेश्या, २ नीललेश्या, ३ कापोतलेइया, ४ तेजोलेश्या, ५ पद्मलेश्या, ६ शुक्ललेश्या । ८ इंद्रिय द्वार इंद्रिय किसको कहते हैं? आत्माके चिह्नको इंद्रिय कहते हैं, उसके पांच भेद हैं --- १ श्रोत्र इन्द्रिय (कान), २ चक्षु इंद्रिय (आंख), ३ घाण इंद्रिय (नाक), ४ रसना इंद्रिय ( जीभ ), ५ स्पर्श इंद्रिय, (संपूर्ण शरीर व्यापी त्वचा) । ९ समुद्धात द्वार समुद्रात किसको कहते हैं ? मूल शरीर को बिना छोड़े जीवके प्रदेशों के बाहर निकलने को समुद्धात कहते हैं, जिसके भेद ७ हैं- १ वेदनीय, २ कषाय, ३ मारणान्तिक, ४ वैक्रिय, ५ तैजस, ६ आहारक, ७ केवली ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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