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________________ नाभि के नीचे का भाग हीन हो। ३स्वाति(मादि)-ऊपर वाले जवाबसे बिलकुल विपरीत हो,जैसे माप की बॉमी, अर्थात् नाभि से नीचे का भाग उत्तम प्रमाणवाला हो और नाभि से ऊपर का भाग हीन हो। ४ कुब्जक (कुबड़ा)-जिसके उदय से हाथ पांव मुख और ग्रीवादिक उत्तम हो और हृदय पेट पीठ अधम (हीन) हो। ५वामन-जिसके उदयसे बौना (बावना) शरीर हो अर्थात् जिसका हाथ पग आदि अवयव हीन हो और छाति पेट आदि पूर्ण उत्तम हों। शरीर के सब अंगोपांग किसी खास शकल के न हो (खराब हो)। ६ हुण्डक-जिसके उदयसे शरीरके सब अङ्गोपाङ्ग किमी खास शकल के न हो (खराब) हों। ५ कषाय द्वारकपाय किसको कहते हैं क्रोधादिरूप आत्मा के विभाग परिणामों को कषाय कहते हैं, इस के चार भेद हैं- क्रोध,रमान ३माया,४लोभ । ६ संज्ञा द्वारसंज्ञा किसको कहते हैं ? आहारादि की अभि
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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