________________
( ६६ ) लक्षणजावं. या रौद्र ध्यान वर्जी धर्म शुक्ल ध्यान ध्यावे, प्रशांत चित्त, आत्म रमणता, पांच समितिए समित, त्रण गुतिए गुप्ता, सरागी तथा वितरागी उशांत चित्ताने जीतेंद्रिय विगेरे व्यापारे सहित जीवनापरिणाम ते शुक्ल लेश्यानुं लक्षण जाणवुं.
वर्ण - स्निग्ध मेघनीघटासरखो, नेंसना शिंगमानीगोळी, अंजण, खंजण, अरिष्टरत्न, नेत्रनी कीकी ने काळा सुरमाथी अनंत गुणो कृष्ण लेश्या नो वर्ण महा जयंकर जाणवो. अशोक वृना अंकुर, नीलचाशपक्षी ने वैकुर्यरत्नथी अनंत गुणो नील लेश्या नोवर्ण जावो. अळशी नाफूल, कोकीलानी पां ने पारेवानाकंवना वर्णथी अनंतगुणो कापोत लेश्यानोवर्ण जावो. हिंगळोक, जगतो सूर्य, दिपकनी शीखा, पोपटनीचांच ाने तपावेला लाल सोनानावर्णथी अनंतगुणो तेजो लेश्यानो वर्ण जावो. हरियाळनो मध्यवर्ण, हळदर छाने सेणानाफूलना वर्णथी अनंतगुणो पद्मलेश्यानो वर्णजावो. शंख, मचकुंदना फूल, दूध, पूर्णचंद्रमा, मोतीनो दार ने