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(१४) के. ॥ गाथा ॥ तथ्य सहस्सा सोलस, खरकंड पंक बहुल कंडंतु; चुलसी सहस्साई अस जल बहुल कंडेतु. ॥१॥
अर्थः-ते रत्न प्रनामां पहेलो सोख हजार जोजन कठण रत्नमय कांग डे, बीजो चोरासी हजार जोजनना पंक (कादव) बहुल कांम अने एंसीहजार जोजननो जल बहुल कांगडे, एरीतेत्रण कांग बे, तेमां पहेले कामे रत्न घणा , माटे तेनुं नाम रत्न प्रना, बीजी नरक पृथ्वीने विषे कांकरा घणा होवाथी तेनुं नाम शर्करा प्रना, त्रीजीनरक पृथ्वीने विषे वेलु (रेती) घणी होवाथी तेनुं नाम वालुका प्रना, चोथी नरक पृथ्वीने विषे कादवघणो होवाथी तेनुं नाम पंक प्रना, पांचमी नरक पृथ्वीने विषे धुमामो घणो होवाथी तेनुं नाम धुम प्रना, ही नरक पृथ्वीने विषे अंधकार घणो होवाथी तेनुं नाम तमप्रना अने सातमी नरक पृथ्वीने विषे घणो घणो अंधकार होवाथी तेनुनाम तमनमप्रना कहेल , एम साते नरक पृथ्वीनां गुण निष्पन्न गोत्र जाणवा.