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( १२ ) ज्योतिषि - ज्योतिष्य प्रकाशवाळा जे देव ते ज्योतिषि कहीए. ते चंद्र सूर्य ग्रह नक्षत्र अने तारा ए पांच प्रकारनां बे. तेमां श्रीद्वीप मांदेला पांच चर ने द्वीप बाहेरना स्थिर ठे. एम दश बे भेद थया तेनो एक दंक || एवं २३ दंगक ॥
वैमानिक - विशिष्ट पुन्ये करी घणा जीवो थकी उपभोग थाय बे जेनो ते विमान कहिए ते विमानने विषे रहेला जे देवो ते वैमानिक जाणवा तेना बे नेद बे, तेमां एक कल्पोत्पन्न ने बीजा कल्पातीत. तीहां कल्प ते स्थिति, जाति, सामानिकादि व्यवस्था मर्यादा बे ज्यां अथवा तिर्थकरना कल्यापादिके मनुष्य लोकने विषे ववानो व्यवहार बे जेनो तेने कल्पोत्पन्न कहीए तेनां नाम सौधर्म देवलोक, इशानदेवलोक, सनतकुमारदेवलोक, माहेंद्र देवलोक, ब्रह्मदेवलोक, लांतक देवलोक, महाशुक्र देवलोक, सहसारदेवलोक, आणंतदेवलोक, प्राणंत देवलोक, चारणदेवलोक, अने अच्युत देवलोक, एम बार बे, कपातीत - कल्प- स्थिति, जाति, सामानिकादि