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(१६०) पदवी विना बाकीनी अगियार पदवी पामे, सौ. धर्म अने श्शान देवलोकना नीकळ्याजीवो कर्मानुसारे वीस पदवी पामे. त्रीजाथी थाउमा देवलोक सुधीना अने नव लोकांतिकना नीकळ्याजीवो कर्मानु सारे वीस पदवीमाथी सात एकिंडिय रत्ननी पदवी विना बाकीनी सोळपदवीपामे. नवमाथी बारमा देवलोकना तथा नव ग्रैवेयक सुधीना नोकळ्याजीवो सात एकिंजिय रत्नो तथा अश्वने हस्ति विना बाकीनी चौदपदवीपामे, पांच अनुत्तर विमानना निकळ्याजीवो तिर्थकरनी, चक्रवर्तिनी, बळ देवनी, केवळीनी, मंमळिकनी, साधुनी, श्रावकनी अने सम. कित दृष्टिनी एम आठ पदवी पामे. तिर्थकर अने चक्रवर्तिने विषे को जीवोने तिर्यकरनी, चक्रवर्तिनी मंमळिकनी, समकितनी,साधुनी अने केवळीनी एम ब पदवी लाने, वासु देवने विषे वासुदेवनी, मंगळिकनी अने समकीतनी एम त्रण पदवी लाने. बळदेवने विषे को जीवोने बळदेवनी, मंगलिकनी साधुनी, केवळीनी अने समकितनी एम पांच पदवी