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(१६५) दंग रत्न ए चार रत्नो श्रायुध शाळामां उपजे: चर्म रत्न,मणिरत्न अने कांगणिरत्न एत्रण रत्नो चक्रवर्तिना सक्षमीनंमारमांउपजे.सेनापति,गाथापति,वाकिंचने पुरोहित ए चार रत्नो चक्रवर्तिना पोताना नगरमां उपजे. स्त्री रत्न वैताढय पर्वते विद्याधरना नगरमा उपजे. अश्व रत्न तथा गजरत्न वैताय पर्वतनामूळे उपजे.चक्ररत्न,इत्र रत्नअनेदंगरत्नए त्रण एक धनुष्य एटले चार हाथ प्रमाणना होय.चर्मरत्न बेहाथ प्रमाण होय, खम्ग रत्न बत्रीस आंगुल लांबु होय, मणिरत्न चारयांगुललांबुने बे आंगुलनुपहोळुहोय, कांगणि रत्न सुवर्णमय चार थांगुल लांबु होय, सेनापति गाथापति, वार्धिक श्रने पुरोहित ए चारनी उचाइ (अवगाहना) चक्रवर्ति प्रमाणे जाणवी, स्त्रीरल चक्रवर्तियी चार अंगुलनीची होय, अश्व रत्न कानना मुळथी ते पुंगना मुळ लगे एकसोने था आंगुलनो खांबो श्रने एंशी आंगुलनो उँचो होय अने गजरत्न चक्रवर्तियी बमणो उँचो होष ले. सर्वे रत्ननुं माप चक्रवर्ति ने आत्म आंगुक्ष
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