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मनुष्यो तथा पांचगर्भज तिर्यच पंचेंडिय एम त्रीस नेदमाहेथी जीव श्रावी उपजे. त्रीजाथी आठमासुधी ब देवलोक, नव लोकांतिक अने बे किल्वीषिया एम सत्तर जातिना देवाने विष पंदर कर्ममिज गर्लज मनुष्य अने पांच गर्नज तिर्यच पंचेंप्रिय एम वीसनेदमाहेथी जीवो श्रावी उपजे. नवमा थाणंत देवलोकथी मामीने पांच अनुत्तर विमान पर्यत्ना अढार देवलोकने विषे पंदर कर्ममिज गर्नज मनुष्यना ने दमाहेथी जीव आवी उपजे. एवी रीते एक नारकीनो दंगक तथा तेर देवताना दंमक मळीने चौद दंगके श्रागति कही.
पृथ्वीकाय, अपकाय अने वनस्पतिकाय एत्रण दंगकनेविषे अमताळीसन्नेदना तिर्यच, एकसोने एक समुच्छिम मनुष्य तथा पंदर कर्मजुमिज गर्नज मनुष्य पर्याप्ता,पंदर कर्मजुमिनागर्नज मनुष्य अपर्याप्ता तथा पंदर परमाधामी, दश जुवनपति, सोलव्यंतर, दशतिर्यग् ब्रूनक, दश ज्योतिषी, सौधर्म तथा शान अने एक किवीषिया जातिना देवो एम सर्वे मळी