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प्रत्येकवनस्पतिकाय, तेना फळ, फुल, बगल, काष्ट, मूळीथा, पांदमा अने बीज ए सर्व प्रत्येक वनस्पति काय जाणवा ॥ एवं १६ दंझक ॥ ___विगडिय-पांच इंडीयी उनी जे इंशी जेने एवा त्रसजीवो ते विगलेंज्यि कहेवाय, तेना बेईजीय, तेइंडीय, अने चौरीडीय, एम एय दंगक बे, तेमा बेइंडीय ते स्पर्श (चाममी) इंडी, अने रश (जीन) इंडी ए बे इंडीय वालाजीव जेवा के शंख, कोमा, गंगोळा, जलो, चंदनक, अलशिया,लाळीयां जीवो, मेर (लाकमामां थता जीवो) करमीआ, पोरा, अने चुमेल विगेरे बेखीय जीव जाणवा तेनो एक दमक, तथा स्पर्श-रस अने घ्राण (नाक) ए त्रय इंडीवाला जीवो जेवा के कानखजुरा, माकण, जुश्रा, जुन, लिंखो, कीमी, उद्धेहिउँ, मंकोमा, श्यळो, धीमेलो, सवा (वाळना मूळमां पाय
) गीगोमा (हुतराना कान उपर थाय ने ते) ईतरमी, महीया, चोरकीमा, गणना कीमा धान्यना कीमा (धनेरा) कुंथुश्रा, अने मोपासीक वगेरे पक्षी