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(११) उदय, अगियारमे तथा बारमे गुणस्थानके मोहनीय कर्मविना बाकीना सात कर्मनो उदय अने तेरमे तथा चौदमे गुणस्थानके, अघाती एवा वेदनीय, थायुः, नाम अने गोत्र एवं चार कर्मनो उदय होय .मि. ध्यात्वथी प्रमत्त सुधी उ गुणस्थानकमांथी एक मिश्र गुणस्थानक वर्जी बाकीना पांच गुणस्थानके, सातके श्राम कर्मनी उदीरणा, मिश्रगुणस्थानके कर्मनी उदीरणा, अप्रमत्त,अपूर्व अने अनिवृत्ति गुणस्थानके आयुकर्मथने वेदनीय कर्मविना कर्मनी उदीरणा, सूक्ष्म संपराय गुणस्थानके उ अथवा पांच कर्मनी उदीरणा अने उपशांतमोहगुणस्थानके, वेदनीय, श्रायुः अने मोहनीयविना बाकीना पांच कर्मनी 3. दीरणा होय , तथा बारमा क्षीण मोह गुणस्थानके उपर कहेला त्रण कर्मविनां पांचकर्मनी अने आवलीका थाकते ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय अने अंतराय कर्मनी उदीरणाटळे तेथी बाकीना एक माम. कर्म थने बीजुंगोत्र एवंबे कर्मनीउदीरणा होय तया तेरमा सयोगीगुणस्थानके पण ते नाम अने गोत्र