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________________ (१९६) स्थानकना बेल्ला समये जीव ऋजु श्रेणीए मोक्ष प्रत्ये पामे . पहेला मिथ्यात्व गुणस्थानकनीस्थिति बन्न सनी अपेक्षाए अनादीनंत अने जव्यनीअपेशाए थनादीसान्त तथा समकीतथी पमेला जीवनी बताए सादीसान्त तेथी जघन्यथी अंतरमहर्त बने उत्कृष्ट देशेउणीअर्धपुजल परावर्त जेटली कही . बीजा सास्वादन गुणस्थानकनी स्थिति जघन्यथी एक समय अने उत्कृष्टथी र थावलीका जाणवी. श्रीजा गुणस्थानकनी स्थिति जघन्य तथा उत्कृष्टयी पण आंतरमहर्त जेटली कही जे. चोथा थविरति सम्यक्गुणस्थानकनी स्थिति जघन्य अंतरमुहुर्त श्रने उत्कृष्ट तेत्रीश सागरोपमथी कामेरी कह। . पांचमुं देशविरति गुणस्थानक उछ प्रमतगुणस्थानक, अने तेरमुं सयोगीगुणस्थानक ए दरेक गुणस्थानकनी स्थिति जघन्य अंतरमुहुर्त अने उत्कृष्ट देशे उणपूर्व क्रोम वर्षनी कही बे. सातमुं अप्रमत, थाउमुं अपूर्वकरण, नवमुं अनिवृत्तिबादरसंपराय,
SR No.022353
Book TitleDandakadik Dwar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyashreeji
PublisherUmedchand Raichand
Publication Year1917
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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