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कनी श्रचित्तने कोश्कनीसचित अचित्तरुप मिश्रयोनी कही. देवता, नारकी अने एकेंन्डियनी योनी ढांकेन्जी होयडे, विगडियनी प्रगट ( उघामी) अने गर्नज तिर्यंच पंचेंप्रिय तथा गर्नज मनुष्यनी काश्क डांकेली ने कांक प्रगट एटले गर्न होवाथी बाहेर पेट मोटु देखाय अने मांद देखाय नहि तेमाटे एने कांश्क ढांकेली अने कांक प्रगट एमबेप्रकारे योनी कही. साते नारकीमांहे केटलाएकनी नष्ण योनी ने केटलाएकनी शीतयोनी होय. गर्नजतिर्यंचपंचेजिय, गर्नजमनुष्य अने चारेनिकायनादेवतानो कांश्कशीत अने कांकजष्णरुप मिश्रयोनी होय , तेउकायनी उष्णयोनी अने पृथ्वीकाय, अपकाय, वा. उकाय ने वस्पतिकाय तथा बेइंजिय, तेडिय अने चौरिप्रिय मांहे कोश्कनीउष्ण, कोश्कनीशीतने कोश्कनी शीतउष्णरुप मिश्रयोनीकही.
॥ इति पानी