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- (एए) थपर्याप्ति नाम मात्र, एकर्मना उदयश्री थतीनथी. जेम देवतापर्याप्तिपुरीकरेज पणज्यांसुधीपुरीकरीनथी त्यां सुधी तेनुं कांश्क नाम आपद् जोश्ए माटे तेने करण अपर्याप्ति कहेडे, अने सर्वे पर्याप्ति पुरीकरी लीधी एम जणाववानेमाटे तेने करणपर्याप्ति कहे. ___ पृथ्वीकाय, अपकाय, तेनकाय, वाजकाय अने वनस्पतिकाए एकैप्रिय जीवोने थाहार,शरीर, इंघिय अने श्वासोश्वास एम चार पर्याप्ति कही ने. वेप्रिय, तेइंडिय अने चौरिंघिय तथा असंज्ञीपंचेंडियने उपरनी चार पर्याप्ति साथेनाषा पर्याप्तिसहित पांच पर्याप्ति कही . नारकी, दशजुवनपति, व्यंतर, ज्योतिषी अने वैमानिक तथा गर्नजतिर्यंच पंचेंडियअने मनुष्य ए सर्वे संझी पंचेंजियने उपर कहेली पांचपर्याप्तिसाथे मनपर्याप्तिसहित बए पर्याप्ति होय.
॥ इतिपर्याप्तिधार ॥
अथ बारमुं योनीद्वार..... _ योनी-उत्पत्ति स्थानक-सामान्ये जेजे जीवना उत्पत्ति स्थानक वर्ण, गंध, रस अने स्पर्श कर। सरखां