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धम्मा-ऽधम्मा – पुग्गल, – नह - कालो पंच हुंति अज्जीवा । चलणसहावो धम्मो, थिरसंठाणो अहम्मो अहम्मो य ॥९॥ अवगाहो आगासं, पुग्गलजीवाण पुग्गला चउहा । खंधा देस पएसा, परमाणु चेव नायव्वा ॥ १० ॥
सबंधयार उज्जोअ, पभा छायातवेहि आ ( इय) । वन्न-गंध-रसा फासा, पुग्गलाणं तु लक्खणं ॥११॥ एगा कोडि सतसट्ठि, लक्खा सत्तहुत्तरी सहस्सा य । दोय सया सोलहिया, आवलिया इगमुहुत्तम्मि ||१२|| समयावली मुहुत्ता, दीहा पक्खा य मास वरिसा य । भणिओ पलिया सागर, उस्सप्पिणि-सप्पिणी कालो ॥ १३ ॥
परिणामि जीव मुत्तं, सपएसा एग वित्त किरिया य । णिच्चं कारण कत्ता, सव्वगय इयर अप्पवेसे ॥ १४ ॥ सा उच्चगोअ मणुदुग, सुरदुग पंचिदिजाइ पणदेहा | आइतितणूणुवंगा, आइमसंघयण - संठाणा ॥१५॥ वन्नचउक्का गुरुलहु, परघा उस्सास आयवुज्जोअं । सुभखगइ - निमिण - तसदस, सुर-नर- तिरिआउ तित्थयरं ॥ १६॥
तस - बायर- पज्जत्तं, पत्तेअ-थिरं सुभं च सुभगं च । सुस्सर आइज्ज-जसं,
तसाइदसगं इमं
होई ॥१७॥