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वाऊ विकला के० ) नारकतेजो वायुविकलाः, एटले नारकीनो एक दमक अने तेनकायनो दमक तथा वायुकायनो दंमक अने विकलेंद्रियना त्रण दमक, ए उ दमकोना जीवो कृष्ण, नील अने कापोत, ए (तिलेसा के०) त्रीवेश्याः, एटले त्रण लेश्याउँवाळा होय, तेमां सात नारकीमा पहेली अने बीजीमां कापोत, त्रीजीमां उपरना जागमां कापोत अने नीचेना जागमां निल, चोथीमा नील, पांचमीमां नील अने कृष्ण बहीमा अने सातमीमां कृष्ण लेश्या होय. तथा (वेमाणिय के० ) वैमानिकाः, एटले वैमानिक देवोना एक दंमकना जीवो पण तेजो, पद्म अने शुक्ल ए त्रण लेश्यावा. ळा होय. तेमां सौधर्म अने इशानमा तेजोलेश्या त्रण करूपमां पद्मलेश्या अने लांतकविगेरेमा शुल्कलेश्या होय. ए नव दंगके लेश्या कही ॥१४॥ जोइसियतेनलेसा, सेसा सवेवि हंति चनलेसा ॥ इंदियदारं सुगम, मणुआणं
सत्त समुग्घाया ॥२५॥