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________________ ३५ वच्चति के० ) व्रजंति, एटले जाय बे ॥ २१ ॥ एवं प्रति (रिया) रगा चत्तरो पुण अठवीससदस्सेदिं ॥ पुरवि बप्पन्नहिं, सदस्सेदिं जंति च सलिला ॥२२॥ गाथा २२ मीना छुटा शब्दना अर्थ. एवं-- एम अद्भितरगा - अभ्यंतर क्षेत्रनी चउरो-चार पुण वली अठवः ससहस्सेहि--अठ्यावीश हजारना परिवार सहित • पुणरत्र वली पण छप्पन्नेहिं सहस्सेहि-- छप्पन्न ह जारना परिवार सहित जंति - जाय छे चउ - चार सलिला - नदीओ विस्तारार्थ : - ( एवं के० ) एवं, एटले ए प्रमाणे हिमवंत ने हिरण्यवंत ए बे युगलियानां ( निंत रंगा के० ) अज्यंतरगाः, एटले अभ्यंतर क्षेत्रनी नदीउ एक रोहिता, बीजी रोहितांशा, त्रीजी रूपकूला अने बोथी सुवर्णकूला, ए ( चउरो के० ) चतस्रः, एटले चार नदी ते (पुण के० ) पुनः, एटले वली एकेकी नदी ( वीससहस्सेदिं के० ) अष्टाविंशतिसहस्रैः,
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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