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________________ ॥ श्रीलघुसंबयणी प्रकरण बालावबोध सहितप्रारंजः॥ ग्रंथना आरंजमां सूत्रकार श्री हरिजद्रसूरियाचार्य जगवानने नमस्कार करवारूप मंगल गाथाकहे जे. नमिय जिणं सवन्नूं, जगपुजं जगगुरुं महावीरं ॥ जंबुद्दीवपयजे, वुद्धं सुत्ता सपरहेजें ॥१॥ गाथा १ लीना छुटा शब्दना अर्थ. नमिय-नमस्कार करीने. जंबुद्दीव-जंबूद्वीपने विषे रहेला. जिणं-श्री जिनेश्वर देवने. पयच्छे--पदार्थों. सम्बन्नु-सर्वज्ञ. बुच्छं-कहीश. जगपुज्ज-त्रण जगतने पुज्य. सुत्ता-सत्रश्नकी. जगगुरुं-त्रण जगतना गुरु. सपरहेउं-स्वपर हेतुए. महावीरं-महावीर स्वामीने. ___ विस्तारार्थः-( जगपुङ के) जगत्पूज्यं, एटले त्रण जगतने पूज्य, (जगगुरुं के ) जगद्गुरुं, एटले त्रण जगतना गुरु अने ( सबन्नु के० ) सर्वझं एटले सर्वज्ञ एवा ( जिणं के० ) जिनं, एटले श्री जिनेश्वर देव जे श्री ( महावीरं के ) महावीरं, एटले महावीर
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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