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________________ 352 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन ११. सर्वार्थसिद्धि, अ. 5. सूत्र 38-39 १२. राजवार्तिक, अ. 5. सूत्र 38-39 १३. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, अ. 5, सूत्र 38-39 १४. उद्धृत लोकप्रकाश भाग चतुर्थ सर्ग 28, पृष्ठ 3 १५. स्थानांग सूत्र, स्थान 2, उद्देशक 4, जीवाजीव पद, सूत्र 387 ... १६. विशेषावश्यक भाष्य, गाथा 2029 १७. धर्मसंग्रहणि गाथा 32 की टीका १८. विशेषावश्यक भाष्य, गाथा 2029 १६. धर्मसंग्रहणि गाथा 32 की टीका। २०. लोकप्रकाश, 28.13 से 15 २१. तत्त्वार्थसूत्र 5.37 २२. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक 5.39.2-3 २३. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 2, उद्देशक 10, सूत्र 11 २४. उत्तराध्ययन सूत्र, 28.7 २५. अनुयोगद्वार सूत्र, 218 २६. पंचास्तिकाय, गाथा 23 २७. नियमसार, अजीव अधिकार, गाथा 32 की टीका से उद्धृत २८. गोम्मटसार जीवकाण्ड, गाथा 560-561 २६. गोम्मटसार जीवकाण्ड, गाथा 568 ३०. लोकप्रकाश, चतुर्थ भाग, 28.21 ३१. तत्त्वार्थराजवार्तिक 5.22 ३२. तत्त्वार्थराजवार्तिक 5.22 ३३. तत्त्वार्थराजवार्तिक 5.22 ३४. लोकप्रकाश, 28.18 और 19 ३५. लोकप्रकाश, 28.20, 53 और 54 ३६. लोकप्रकाश, 28.23 ३७. लोकप्रकाश, 28.24 ३८. लोकप्रकाश, 28.25 ३६. लोकप्रकाश, 28.49 और 50 ४०. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 5.22 ४१. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, कुंथुसागर प्रकाशन, द्वितीय भाग, पृ. 148 ४२. समर्थोऽपि बहिरंगकारणापेक्षः परिणामत्वे सति कार्यत्वात्, ब्रीह्यादिवदिति यत्तत्कारणं बाह्यं सः कालः- तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकालंकार, षष्ठ खण्ड पृ. 170 ४३. वर्तना हि जीवपुद्गलधर्माधर्माकाशानां तत्सत्तायाश्च साधारण्याः सूर्यगम्यादीनां च स्वकार्यविशेषानमितस्वभावानां बहिरंगकारणापेक्षा कार्यत्वात्तंडुलपाकवत् यत्तावदबहिरंग कारणं स कालः।। -तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकालंकार, षष्ठ भाग, पृष्ठ 165 ४४. “धम्माधम्मादीणं अगुरुलहुगं तु छहिं विवड्ढीहिं। हाणीहिं विवड्डतो हायंतो वट्टदे जम्हा। यतः धर्माधर्मादीनामगुरुलघुगुणाविभागप्रतिच्छेदाः स्वद्रव्यत्वस्य निमित्तभूतशक्तिविशेषाः षड्वृद्धिभिर्वर्धमानाः षड्हानिभिश्च हीयमानाः परिणमन्ति। ततः कारणात् तत्रापि मुख्यकालस्यैव कारणत्वात् इति।" -कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा 216 की टीका ४५. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा 218 की टीका ४६. 'वर्तनाहेतुरेषः स्यात् कुम्भकृच्चक्रमेव तत्।
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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