SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 284 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन लोक कास्वरुप सिद्धक्षेत्र (अनंत सिद्ध) 5 अनुत्तर विमान (1 प्रतर) सिद्ध शिला अनंत १ ग्रैवेयक के 9 प्रतर व अ आकाश लो 4 प्रत क 4 प्रत EFFE Popuna घनोदधिमनवात तनवात Poonames TV 14 प्रतर 5 प्रतर 6प्रतर १ लोकांतिक 12 प्रतर 3 किल्विषी 3 प्रतर अनंत अलोकाकाश -बनोदधि मध्यलोक (तिर्खालोक) (1800 योजन ऊँचा) मेरु पर्वत चर-अचर ज्योतिष चक्र असंख्य द्वीप समुद्र नरक 1(रत्नप्रभा) -नरक 2 (शर्कराप्रभा) 10 जांभक 16 वाणव्यंतर 10 भवनपति 15 परमाधामी - RE8 MES नरक 3 (वालुकाप्रभा) नरक4 (पंकप्रभा) आकाश असंख्य योजन नरक5 (धूम्रप्रभा) घनोदधि धनवात तनवात नरक (तमःप्रभा) नरक7 (तमःतमःप्रभा) स्थावर नाडी अलोक अलीक त्रसनाडी रज्जू चौड़ी-14 रज्जू ऊँची
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy