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________________ 120 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीव यदि वैक्रिय शरीर करता है तो उसका उत्कृष्ट अंगमान सौ पृथक्त्व योजन का होता है, जिसका आरम्भ जघन्य एक अंगुल के असंख्यातवें भाग के जितना होता है।" ___ बारहवां द्वार : समुद्घात-विमर्श समुद्घात तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसका अभिप्राय हैसम-समान भाव से या एकीभावपूर्वक उत्- प्रबलता से घात-नाश करना। तात्पर्य है कि एकीभावपूर्वक प्रबलता के साथ घात करना समुद्घात है। उपाध्याय विनयविजय भी ऐसा ही कहते हैं समित्येकीभावयोगाद्वेदनादिभिरात्मनः। उत्प्राबल्येन कर्माशघातो यः स तथोच्यते।।" राजवार्तिककार का मानना है कि वेदनादि निमित्तों से कुछ आत्मप्रदेशों का शरीर से बाहर निकलना समुद्घात है।" इसी विषय में अन्य दृष्टि से धवलाटीकाकार कहते हैं कि-कों की स्थिति और अनुभाग का उत्तरोत्तर समीचीन उद्घात समुद्घात है।" लोकप्रकाशकार कहते हैं कि जीव कालान्तर में भोगने योग्य कर्मपुद्गलों को उदीरणाकरण से आकर्षित कर उदय में लाकर भोगता है और उनका क्षय करता है, यही समुद्घात है।" ___जीव सात विधियों से कर्म पुद्गलों का समुद्घात करता है। वे सात समुद्घात इस प्रकार हैं१. वेदना २. कषाय ३. मारणान्तिक ४. वैक्रिय ५.आहारक ६. तैजस और ७. केवलि। तैजस पर्यन्त समुद्घात छद्मस्थ जीव को होते हैं एवं सातवां केवलि समुद्घात सर्वज्ञ को होता है। अन्तिम समुद्घात आठ समय का होता है जबकि पूर्व के छह समुद्घात एक अन्तर्मुहूर्त के लिए होते हैं। यह अन्तर्मुहूर्त असंख्यात समय का भी हो सकता है।" (1) वेदना समुद्घात- वेदनाओं से दुःखी होकर जब कोई जीव अपने आत्मप्रदेशों को शरीर से बाहर कर कर्म-पुद्गलों का घात करता है तो वह वेदनासमुद्घात कहलाता है। इस समुद्घात में जीव लम्बाई-चौड़ाई में शरीर प्रमाण क्षेत्र में मुख, उदर, कान, स्कन्ध आदि के छिद्रों और रिक्त स्थानों को आत्मप्रदेशों से पूर्ण कर देता है। अन्तर्मुहूर्त पर्यन्त रहने वाला यह समुद्घात असातावेदनीय कर्म पुद्गलों का क्षय करता है। (2) कषाय समुद्घात- कषाय समुद्घात चारित्र मोहनीय कर्माश्रित है।" कषाय के उदय से
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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