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________________ नवतत्त्वसंग्रहः १ उदयभंग रचना. प्रथम गुणस्थानमे २२ ने बंधे सात आदि ७ ८ ९ १० उदयस्थान ४, इनका स्वरूप पीछे उदयस्थानमे लिख्या है सो जान लेना. इहां सातने उदयमे भंग २४ ते किम ? हास्य रति पुरुषवेद १ अरति शोक पुरुषवेद २, एवं दो २, ए ही दो स्त्रीवेदसुं २, ए ही दो नपुंसकवेदसुं, २, एवं ६ हुये, ए ही ६ क्रोधसुं, एवं ६ मानसुं, एवं ६ मायासे, एवं ६ लोभसे, एवं सर्व २४ हुये. ि आठने उदय तीन चौवीसी ३ ते किम ? अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, मिथ्यात्व १, संज्वल १, एक कोइ वेद १, हास्य १, रति १, अथवा एहने ठामे अरति शोक इणमे भय घाले एतले आठने उदय एक चौवीसी, इम भय काढी जुगुप्सा घाले आठमे दूजी चौवीसी, जुगुप्सा काढी अनंतानुबंधीयासुं तीजी चौवीसी, एवं ८ उदय ७२ भंग. हिवै नवने उदय तीन चौवीसी ते किम ? सातमे भय जुगुप्सा घाले ९. ए नवने उदय भय जुगुप्सा संघाते पीछे कह्या ते छ विकल्प क्रोध, मान, माया, लोभसे एक चौवीसी १, अथवा जुगुप्सा काढे भय, अनंतानुबंधीसुं नवने उदय दूजी चोवीसी २, अथवा भय काढी जुगुप्सा, अनंतानुबंधीयासुं तीजी चउवीसी ३, एवं भंग ७२. हिवै सातमे भय, जुगुप्सा, अनंतानुबंध घाले १० ने उदय एक चौवीसी. पुरुषवेद आदिकसुं. हिवै २१ ने बंधे सात आदि ७।८।९ लगे तीन उदयना ठाम. सातनो उदय अनंतानुबंधी १, अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १ ए चार, कोइ एक कोइ वेद १, हास्य रति १, अरति शोक ए दोनोमे एक कोइ, एवं ७. एही पाछला छ विकल्प क्रोध १, मान १, माया लोभसुं एक चउवीसी १, सातमे भय घाले आठनो उदय, भय संघाते एक चौवीसी १, भय काढी जुगुप्सासुं एक चौवीसी, एवं भंग ४८. सात भय, जुगुप्सा समकाले घाले नवनो उदय. नवने उदय एक चौवीसी. ए सास्वादन गुणस्थानमे जाणवा. प्रथम सत्तराने बंधे मिश्र गुणस्थानमे तीन उदयना ठाम, तिहां चौवीसी चार ते किम ? अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, एक कोइ वेद १, कोइ एक जुगल, मिश्र, एवं ७ नो उदय. ध्रुव पाछला ६ विकल्प, क्रोध १, मान १, माया १, लोभसुं छ गुणा एतले एक चौवीसी. सातमे भय घाले एतले आठने उदय पीछली परे एक चौवीसी १, भय काढी जुगुप्सासे आठने उदय दूजी चौवीसी २, सात मध्ये भय, जुगुप्सा समकाले घाले नवने उदय पाछली तरे एक चौवीसी १, एवं मिश्र गुणस्थाने ४ चउवीसी. हवै अविरतिने ६ ७ ८ ९ ए चार उदयठाम उपशम अथवा क्ष सम्यक्त्वना धणीने ए ६ ना उदय हुये अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, एक कोइ वेद १, एक कोइ युगल २, एवं ६ ने उदय एक चउवीसी. ए छ मांहे भय घाले सातने उदय एक चउवीसी १, भय काढी जुगुप्सासे सातने उदय दूजी चउवीसी २, जुगुप्सा काढी वेदक सम्यक्त्वसुं सात उदय त्रीजी चौवीसी ३, अप्रत्याख्यान प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, वेद १, युगल ए छ माहे भय, जुगुप्सा घाले एतले आठने उदय एक चौवीसी १, जुगुप्सा काढी भय, वेदकसम्यक्त्वसुं आठने उदय दूजी चउवीसी २, भय काढी जुगुप्सा वेदकसुं आठने उदय तीजी चौवीसी ३. अप्रत्याख्यान १, प्रत्याख्यान १, संज्वलन १, वेद १, युगल २, भय १, जुगुप्सा १ वेदक १, एवं ९ ने उदय एक २३०
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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