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नवतत्त्वसंग्रहः ६ मूल हेतु ४ | ४ | ३ | ३ | ३ ३ | २ | २ २ २ २ २ | २ || ७ | उत्तर हेतु ५७/ ५५ | ५० ४६ | ३९ / २६ |२४| २२ | १६ | १०| ९ | ९ | ० | मिथ्यात्व ५ | ५ | ०
अविरत १२ | १२ |
0
१२ | १२ | १२ | १२
११.००
| 0 |
०
०
०
कषाय २५
१७|१३|१३| १३
|
योग १५ | १३
| ० | १ | "
१३| १० | १३ | ११ |
-
|
अल्पबहुत्व | अनंत | असं.
| सं.] वि.
वि. | वि. | थोवा |
गुणा | १०
w
|
13
४
३
३
मूलभाव ५ | ३ | ३ १०| उत्तरभाव ५३] ३४ ३२
| ३२ | ३५ | ३५ | ३३ |३१| २८ | २९ / २२ |
१३
२
०
०
| -
उपशम २ | ० ० •| क्षायिक ९ | 0 | 0 | 0 | १ | १ | १ | १ | १ | १२| १।२/ २ / २ /९/ ९ क्षयोपशम १८ | १० | १० | ११
१२/ १२ / १२ / ० | १३ | १३ | १५ |१५| १४ | १३ | १३ | १३ | १३ | । औदयिक १२ | २१ | २० | २० | १९ |
____ . | 0 | 0 |
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मूल भाव ५, तद्यथा-(१) औपशमिक, (२) क्षायिक, (३) क्षायोपशमिक, (४) औदयिक, (५) पारिणामिक. उत्तर भेद ५३-औपशमिकके दो भेद-(१) उपशमसम्यक्त्व, (२) उपशमचारित्र, एवं दो, क्षायिक भाव ९ भेदे-(१) केवलज्ञान, (२) केवलदर्शन, (३) क्षायिक सम्यक्त्व, (४) क्षायिक चारित्र, (५) दानान्तराय, (६) लाभान्तराय, (७) भोगान्तराय, (८) उपभोगान्तराय, (९) वीर्यान्तराय एवं ५ क्षय करी, एवं ९, क्षयोपशमके १८ भेद-(१) मति, (२) श्रुत, (३) अवधि, (४) मनःपर्यव, (५-७) तीन अज्ञान, (८-१०) तीन दर्शन केवल