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________________ आ जीव धर्मना प्रभावनि सुंदर, सौम्य, उच्चकुल, शीलवान, पंडित चंद्रमानी माफक उज्जवल स्थिर कीर्तिनो धारक थाय छे ॥ ३० ॥ अने पापना प्रभावथी कुरुप, दरिद्री, सघळाने नठारो लागवावालो नीचकुल कुशील, मूर्ख बदनामी अने दुष्ट थाय छे ॥ ३१ ॥ धर्मना प्रभावथी तो आ जीव हाथीउपर बेसीने सघळानो आदरसत्कार पामीने चाले छे अने पापना प्रभावथी निन्दित थईने तेनी आगल दोडे छे ॥ ३२ ॥ धर्मना प्रभावथी तो मुंदरताने उत्पन्न करवावाली पृथ्वि समान प्रिय स्त्रिओ मळे छे अने पापना प्रभावथी बिचारा गरिब थईने तेज स्त्रिओने पालखीमां बेसाडीने भोई [ कहार ] बनीने उचकीने फरे छे ॥ ३३ ॥ धर्मना प्रभावथी कोई तो कल्पवृक्षनी समान दान करे छे, अने कोई पापना प्रभावथी रोज हाथ पहोळा करीने भीख मांगे छे ॥ ३४ ॥ धर्मात्मा पुरुषो छे ते तो मनोहर स्त्रिओने आलिंगन करता रत्नमयी महेलमां सुए छे, अने पापीओ छे तेओ हाथमां शस्त्र धारण करीने तेओनी रक्षा करे छे एटले पहरो भरे छे ॥ ३५ ॥ धर्मात्मा पुरुषो तो सोनानां वासणमा मिष्ट भोजन करे छे, अने पापी छे तेओ कूतरानी माफक तेनुं एंठं खाय छे ॥ ३६ ॥ धर्मात्मा पुरुष तो मोघां कोमल सारां वस्त्रो धारण करे छे, अने पापीओने सेंकडो काणांवाली एक लंगोटी पण मळती नथी ॥ ३७ ॥ पुण्यना प्रतापथी तो मोटा पुरुषोना लोकमां प्रसिद्ध, यशोगान थाय छे, अने पापी छे तेओ तेज लोकनी आगळ घणी खुसामद करे छे ॥ ३८ ॥ दशे दिशाओ मां फेलायली छे कीर्ति जेनी एवा तीर्थकर चक्रवति नारायण प्रतिनारायण वगेरे महापुरुष पण धर्मना प्रभावथीज थाय छे ॥ ३९ ॥ अने पापना प्रभावथी लोकमां निंदनीक बहेरा पांगला, लंगडा, अधिक रोमवाला, पारकाना दास, दुष्ट
SR No.022328
Book TitleDharmpariksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarlal Karsandas Kapadia
PublisherMulchand Karsandas Kapadia
Publication Year1910
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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