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मना ज्ञाता विद्वानोवडे प्रसन्नतानी साथे व्याख्यान थतां, आ अनघ (निर्दोष ) शास्त्र आ पृथ्वीपर विद्यमान रहो ॥ ११ ॥ अन्य मतनो निषेध करवावाळो, जिनेन्द्रधर्मनो अपरिमाण युक्तवालो आ धमपरिक्षा नामनो ग्रंथ विक्रम संवत १०७० मा वर्षमा पूर्ण थयो ॥ २० ॥
ANIMAvera-masuavanal
SWAPN-ANKale-weiled
TANTHERE
JANWAR