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________________ कम थई शके? ॥ ७२ ॥ में बुद्ध प्रत्यक्षथी विरुष्ध सर्व शून्यपणा आत्मामो अभाव अने क्षण भंगुरता कहे छे, तेने कयुं ज्ञान थई शके! ॥ ७३ ॥ जे सर्व शून्यतानी कल्पना करे छे, ते बुध केवा? अने तेना मतमां बंधमोक्षादि तत्वोनी व्यवस्था शुं थई शके ॥ ७४ ॥ मेना मतमां स्वर्ग मोक्षना सुखने भोगववावाळा आत्मानोज स्पष्ट रीते अभाव कहेलो छे तो तेना मतमा व्रतादिकन करवू सर्वथा व्यर्थज छे ॥ ७५ ॥ जेना मतमां क्षणमां क्षणमां नवीन आत्मानुं आवq अने आगलानु चाल्या नद्, मानेलं छे, तेना मतमा हंता अने हणवा योग्य, दाता अने दानादिक सघळा पदार्थ विरोधरुप थई जाय छे. तथा विद्वान माणम क्षणिक वादिना मतने सर्वथा असत्य माने छे ।। ७६ ॥ ने बुध्धनो सघळो पक्ष सर्वथा प्रमाणथी बाधित छ, ते दुरात्माने सर्वज्ञपणुं थ, पण असंभव छे ॥ ७७ ।। बनारम निवासी प्रजापतिनो पुत्र तो ब्रह्मा छे. अने वसुदेवनो पुत्र कृष्ण नारायणछे. तथासात्यकी अने मुनिनो पुत्र महादेव रुद्र छे, पण नष्ट बुध्धिवाळा लोकाए ब्रह्माने आ अनादिनिधन सृष्टिनो कर्त्ता, विष्णुने रक्षक अने महादेवने संहारक ( सृष्टीनो नाश करनार ) कहेला छे, ए केम मानवामां आवे? ॥ ७८-७९ ॥ जो __ आ णे सर्वज्ञानी वास्तवमा एकज मूर्ति छे तो ब्रह्मा अने विष्णु महादवेना गिनो छेडो केम मेळवी शकया नहि? ॥ ८० ॥ सर्वज्ञ चातरागी शुध्ध परमेष्टीना ए त्रणे अवयव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश )अल्पज्ञरागी अने अशुद्ध कम थया? ॥ ८१॥प्रलयनी स्थिात अने रचनाना करवावाळा पार्वतीना पति महादेव तपस्विओदारा लिंग छेदनादि श्रापने
SR No.022328
Book TitleDharmpariksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarlal Karsandas Kapadia
PublisherMulchand Karsandas Kapadia
Publication Year1910
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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