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________________ देववंदन नाष्य अर्थसहित. ए एटले चार वांदवा योग्य कद्या, ते कया कया? तेनां नाम कहे . एक (जिण के) जिन तीर्थ कर अरिहंत, बीजा (मुणि के) मुनिराज साधु, त्रोजो ( सुय के) श्रुत सिहांत प्रवचन अने चो श्रा (सिक्षा के) सिह नगवान् जे मोद प्राप्त थया ते जागवा. ए चार वंदनीकनुं तेरमुंहार कद्यु. नत्तर बोल १ थया ॥ १३ ॥ हवे एक स्मरवा योग्यतुं चौदमुं चार कहे . (इह के) ए श्रीजिनशासनमांहे सम्यग्दृष्टि अ धिष्ठायिक (सुरा के०) देवताप्रमुख (सरलिजा केण्) स्मरणीय बे एटले स्मरवा योग्य जागवा. ए स्मरवा योग्यतुं चौदमुं क्षार कपु. नत्तर बोल १एएश्यया ॥१४॥ हवे चार प्रकारना जिननें पन्नरमुं द्वार कहे जे. (चनहजिणा के) चार प्रकारना जिन कह्या ले ते कहे . एक (नाम के०) नामजि न, बोजा (ग्वण के) स्थापना जिन, त्रीजा (दव के०) यजिन, चोथा (नाव के ) ना
SR No.022326
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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