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६ देववंदन नाष्य अर्थसहित. वार्नु क्षार कहीश, सत्तरमुं देव वांदवामां पापक्ष पणादिक (निमित्त के ) निमित्त आठ डे, तेनुं हार कहीश, अढारमुं फल साधवा निमित्ते (बारहेऊ के० ) बार हेतुनुं हार कहीश, (अ के ) वली नगणीशमुं अपवादें कानस्लग्गना ( सोलसागारा के ) सोल आगार, हार क हीश, वीशमुं कानस्सग्गमां (गुणवीसदोस के) इंगणीश दोष नपजे तेनुं हार कहीश, एकवीसमुं (नस्सग्गमाण के) कानस्सग्गना प्रमाणनुं हार कहीश, बावीशमुं श्रीवीतरागर्नु (श्रुतं के ) स्तवन केवा प्रकारे करवू ? तेनुं हार कही,त्रे बीशमुं (अ के ) वली दिन प्रत्ये चैत्यवंदन ( सगवेला के ) सात वेला करवू, तेनुं हार कदीश ॥४॥
चोवीसमुं देववंदन करतां देरासरमां तांबूल प्रमुख (दसासायणचा के) दश आशात नानो त्याग करवो, तेनुं हार कहीश, एम (सत्वे के ) सर्वे (चिश्वंदणारंगणाई के) चैत्यवंद ननां स्थानक ते (चनवीसऽवारेदिके के ) चो