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देववंदन जाष्य अर्थसहित.
( इग के० ) एकपदनी, चोथी (चन के० ) चार पदनी, पांचमी ( इग के० ) एकपदनी, बडी (पा के० ) पांच पदनी, सातमी ( इगार के० ) अगी यार पदनी, आग्मी (बग के०) व पदनी जाणवी ॥
हवे ए (इरिय के० ) इरियावहीनी सर्व (सं पया के०) संपदानुना ( श्राइपया के० ) यादिपद एटले प्रथमना पद जे संपदाना छुरियां ते क े. तिहां प्रथम ( इच्छा के० ) इच्छामि ए पहेली संप दानुं पलुं पद, ( इरि के० ) इरियावहियाए ए बीजी संपदानु पहेलुं पद, ( गम के०) गमला गमणे ए त्रीजी संपदानुं पलुं पद, (पाणा के ) पाणक्कमले ए चोथी संपदानुं पलुं पद, ( जेमे के० ) जेमेजीवाविरादिया ए पांचमी संपा पलुं पद, (एगिंदि के० ) एगंदिया ए बही सं पदानुं पहेलुं पद, (अनि के० ) अहिया ए सा तमी संपदानुं पदे पद, (तस के०) तस्सनत्तरी कर लेणं एमी संपदानु पहेलुं पद जाणवु || ३ || दवे ए इरियावदिनी आठ संपदानां नाम कहे बे अवगमो निमित्तं, हे अरदेन संग हे