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२४ पञ्चकाण जाष्य अर्थसहित. जाणवा, (नवह निबीए के०) निवीना पचरूखा सने विषे नव आगार पण होय अने पाठ प्रा गार पण होय, तिहां जे पिंम अने व्य रूप बेहु 'विगइनु पचख्खाण करे तेदने नब आगार जा पवा, अने जे एकली (दवविगइ के०) यदि गइमात्रनो (नियमि के०) नियम करे तेने (न ख्खित्त विवेग केए) नख्खिनविवेगेणं ए (आगार के०)श्रागार तेने (मुत्तु के०) मूकीने बाकीना (अ के०) आळ आगार होय ॥ १७ ॥ तेना यंत्रनी स्थापना पागल करी जे. हवे प्रत्येक भागार संबंधी आगारोनां नामें
कही देखा . अन्न सह 5 नमुक्कारे, अन्न सह पञ्च दिसय साहु सब ॥ पोरिसि सड़पोरि सि, पुरिमड सत्त समहत्तरा ॥ १० ॥ हवे प्रत्येक पञ्चलखाण संबंधी प्रागारोनां
नाम कही देखामे . अर्थः-( नमुक्कारे के०) नवकारसिना पञ्च