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शव पञ्चरकाण नाष्य अर्थसहित. रात्रे चनविहार होय तथा केटलेएक स्थानके श्रावकने पण पोरिसी तिविहारें बोली . अने विहार पचरूखाणे रात्रे तिविहार होय परंतु ते कारणिक जाणवू, व्यवहारे समजवू नही. त्यादि बीजी विशेष वात ग्रंथांतरथी जाणबी, एटले चार विधिनुं बीजुं हार पूर्ण थयु. उत्तर बोल चौद थया ॥१२॥२॥ हवे चार प्रकारना आहारनुं त्रीजुं हार कहे जे. ___ खुहपसम खमेगागी, आहारिव एइ. देइ वा सायं ॥ खुहिन वि खिवइ कुठे,जं पंकुवम तमाहारो ॥१३॥
अर्थः-प्रश्रम सामान्य प्रकारे श्राहारनुं लक्ष ण कहे . जे (खुहपसम के) कुधाने नपश माववाने अर्थे (खम के ) समर्थ होय एवो जे (एगागी केए.) एकाकी व्य होय तथा वली (आहारिव के) आहारने विषे पण (एइ के) एति एटले आवे एवा लवण हिंग्वादिक ने पा हारमा हे (सायं के) स्वाद प्रत्ये (देश केण)