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________________ १२६ आत्मानुशासन. अर्थः- जब कोई मनुष्य कहीं जानेकेलिये निकलता है तब उसे बहुतसी चीजोंकी जरूरत लगती है । वे सभी चीजें जब ठीक ठीक मिलती हैं तो वह मनुष्य बड़े आरामके साथ अपनी जगहमें पहुच जाता है, नहीं तो नहीं । वे चीजें इतनी हैं:- १ रास्ता दिखानेवाला, २ एक कोई साथदिार, ३ कुछ खर्चा व टोसा वगैरह, ४ सवारी, ५ वीचमें ठहरनेकेलिये पडावकी जगह, ६ रखवाले, ७ रास्ता सीधा, ८ रास्तेके बीचमें जगह जगह पानी व छायाका रहना। ये आठ बातें रास्तागीरको बहुत ही जरूरी हैं । यदि इन आठों बातोंकी योग्यता रहै तो अभीष्ट स्थानको पहुचनेमें कोई भी हरकत पैदा नहीं होसकती है। अब यहां साधुको रास्तागीर समझिये । वह मोक्षको पहुचना चाहता है। इसलिये उसे भी इन आठो बातोंका सुभीता करलेना चाहिये । यदि यह सुतिा हुआ तो उसके मोक्ष पहुचनेमें कुछ भी संदेह व बाधा नहीं रहती। उन आठोंमेंसे १ मार्ग दिखानेवाला तो सम्यग्ज्ञान होना चाहिये। उसके होनेसे मार्गके सभी बाधकोंकी खवर ठीक ठीक पडती रहती है । और जब कि सम्यग्ज्ञान हुआ तो सम्यग्दर्शन तो हुआ ही समझना चाहिये। क्यों कि, इसके विना सम्यग्ज्ञान अकेला रहता ही नहीं है। इस प्रकार ये दोनो मार्ग दिखानेवाले हुए । २ धर्मकी लाज या विनय, यह साथी. दारका काम देनेवाली है। ३ बहुतसा जो तप किया है वह मार्गमें खर्चेका व टोसा वगैरहका काम देता है। ४ चारित्रसे पालखी या सवारी-का काम पूरा होता है । ५ वीचमें ठहरनेकेलिये पडाव बहुत ही सुंदर स्वर्ग -स्थान है । ६ उत्तम-क्षमादि अनेक जो श्रेष्ठ गुण हैं उन्हें रखवाले समझिये। ७ कपट व माया-मिथ्या-निदानरूप तीन शल्योंको छोडनेसे मोक्षका मार्ग सीधा-सरल हो जाता है । ८ रागादि परिणामोंका उपशम या अभाव रहनेसे जो मनमें निर्मलता बढती है वह ओतप्रोत जगह जगहपर जल भरा हुआ है और दयाकी लह लहाती हरी भरी डालियां वहांपर छाया दे रही हैं । मोक्ष प्राप्तिकेलिये ऐसा प्रयाण यदि
SR No.022323
Book TitleAatmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBansidhar Shastri
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year1916
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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