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________________ (५) देवदर्शन मू० ) पंचामृत प्रक्षाल अर्थसहित मू० -)। प्रतिष्ठामारोद्वार मू० १॥-) तीसचौबीसी पाठ पं. वृदावनजीकृत मू० ३) परीक्षामुख भाषाटीका ।) हिंदी भक्तामर और प्राणप्रिय काव्य मू: - गिरनार-महात्म्य ||-) बालबोध जनधर्म प्रथम भाग)।, द्वितीय भाग -', तृतीय भाग-), चतुर्थ भाग ।-, सीताचरित-) प्रद्युम्नचरितसार ।) द्वादशानुप्रेक्षा ) यशोधरचरित भाषाटीका २) तेरहद्वीप पूनाविधान २॥) प्राचीन जैनइतिहास पहला भाग मू० ॥1) श्राविकाधर्म ) धन्यकुमारचरित्र ) पंचकल्याण विधान पं बखतावरलालकृत मू० ।-) जैनार्णव । १०० पाठों का संग्रह । मू० १) जैनसिद्ध न्त संग्रह-१०० विषयोंका संग्रह मू० १॥) सम्मेदशिखर महात्म्य -(पूनन विधान) मू० ।) आत्मानुशासन-पक्की निल्द २) चौवीसीपाठ मूल्य १८)
SR No.022321
Book TitleGyananand Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Manager
PublisherSadbodh Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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