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Manparampan
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ज्ञानानन्द श्रावकाचार । ज्योतिषी देव भी असंख्यात वर्षका आयु पूरी कर चयें हैं सो मनुष्य वा तिर्यच आन उपजै हैं । सो ज्योतिषीदेव कोईने तारवा समर्थ नाहीं। सो आपही कालके बस औरांने कैसे राखें अरु कैसे औरांकी सहाइ करें सो वस्तुका स्वभाव तो ऐसे अरु जगतके. जीव भर्म बुद्धि कर मानें ऐसे सो चन्द्र सूर्यादिकका विमान आकासमें गमन करै है । सो बड़ा विमानसू या कहे है ये चन्द्रमा सूर्य गाड़ाके पैया समान है । अरु तारा कूड़ा समान है । सो म्हें चन्द्रमा सूर्यने प्रनाम करूं यह म्हांको सहाई करसी सो अज्ञानी जीवांके ऐसा विचार नाहीं । जो दोय चार कागदाकी गुद्दी आकासमें दोसै चारसै हाथ ऊंची उड़े है । सो भी नकसी कागला साढस्य दीसे तो सोला लाख कोस तो सूर्यका विमान ऊंचा है अरु सतरा लाख आठ हजार कोस चंद्रमाका विमान ऊंचा है अरु तारोंका विमान पन्द्रा लाख असी हजार कोस ऊंचा है। सो ऐती दूरसो गाड़ाका पैया समान वा. कूड़ाके प्रमान कैसे दीखती अरु ये आकास साहस्य हमारो भलो कैसे करसी और भी उदाहरन कहिये है सो देखो दोय तीन कोस वा पांच चार कोसका ऊंचा पर्वत धरतीमें नीचे तिष्ठे सो दस वीस कोस पर्यंत निजर आवे फेर न आवे । ऐसे इन्द्री ज्ञानकी ऐसी सक्ति है । तातै धनी दूर सों निर्मल दीखे नाहीं। केवल ज्ञान अवधि ज्ञान दूर प्रवर्ती सूक्ष्म वस्तु भी निर्मल दीसे है तो चन्द्रमा सूर्य ताराका विमान ऐसा छोय होय ऐती दूर सों कैसे दीसे यह नेम है । बहुरि कोई या कहे । यह जोतिषी देव ग्रह नक्षत्र है । अरु संसारी जीवाकू दुख देय हैं । सो जाने पूजा जाके अर्थ दान दिया सांतता होय है ।