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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर : उसने उत्तर दिया कि-यह तो सुदर्शन शेठ की स्त्री है। क्या तू इसे नहीं पहचानती ? ये छ ही इसके पुत्र हैं । यह सुन कर कपिलाने कहा कि-शेठ तो नपुंसक है तब फिर उसके पुत्र क्यों कर हुए? ऐसा कह कर अपना सारा वृत्तान्त रानी से सुनाया। यह सुन कर रानीने कहा कि-तू तो मूर्ख है, उस शेठने कपट से तुझे धोखा दिया है। कपिलाने उत्तर दिया कि-हे देवी! तुम्हारी चतुराई तो मैं जब समझुं कि-तुम उसके साथ एक बार भी क्रीड़ा करों। यह सुन कर रानीने ऐसा करना स्वीकार किया। फिर एक बार राजा आदि सर्व क्रीड़ा करने के लिये उद्यान में गये थे। अभया रानी महल में अकेली थी। उस समय उसने अपनी पंड़िता नामक धात्री को सुदर्शन को बुलालाने को कहा । वह धात्री सुदर्शन के घर गई तो उसे एक शून्य घर में कायोत्सर्ग कर खड़े हुए देखा । धात्रीने उसे उठा कर रथ में डाला और उसको उत्तम वस्त्रों से आच्छादित कर कामदेव की मूर्ति के बहाने उसे रानी के महल में लेगई। वहां एकान्त में हावभावपूर्वक कामविकार दिखा कर उसकी अनेकानेक प्रार्थना की परन्तु सुदर्शन का मन किंचित्मात्र भी क्षोभित नहीं हुआ। तो गनीने अपने स्तन का स्पर्श हो सके इस प्रकार उसके सम्पूर्ण शरीर का गाढ़ आलिंगन किया तिसपर भी उसका मन क्षोभित नहीं हुआ। अन्त में जब वह रानी थक गई तो उसने पुकार कर सिपाहियों को बुलवा कर कहा कि यह