SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याख्यान २८: : २४९ : से निकाल कर जैनियों को वापस देश में बुलाये और शिलादित्य राजा को भी फिर से जैन धर्म में दृढ़ किया । ___ हे भव्य प्राणियों ! जिनशासन के प्रभाव की उन्नति करनेवाले मल्लवादी का पवित्र चरित्र सुन कर तुम को भी काव्यादिक की विचित्र लब्धिद्वारा जिनशासन की उन्नति करने में तत्पर रहना चाहिये । इत्युपदेशप्रासादे द्वितीयस्तंभे सप्तविंशतितमं व्याख्यानम् ॥ २७ ॥ व्याख्यान २८ वां वादी प्रभावक देवसूरि का दृष्टान्त तर्ककर्कशवाक्येन, बुद्धिशालिमहात्मना । जेतव्या वादिनः सद्यः, शासनोन्नतिहेतवे ॥१॥ भावार्थ:--बुद्धिशाली महात्मा को शासन की उन्नति के लिये तर्क (न्याय) शास्त्र के कर्कश (दुज्ञेय) वचनोंद्वारा वादी को पराजय करना चाहिये । इस श्लोक का भावार्थ निम्नलिखित दृष्टान्त से प्रत्यक्ष हैं। श्री पाटण में जब सिद्धराज राज्य करता था तब कुमुद. चंद्र नामक दिगंबर आचार्य उसकी सभा में आये । राजाने
SR No.022318
Book TitleUpdesh Prasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaylakshmisuri, Sumitrasinh Lodha
PublisherVijaynitisuri Jain Library
Publication Year1947
Total Pages606
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy