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________________ पक्के घड़े में दस किलो घी खरीदा। घड़े को उठाने के लिए एक मजदूर की आवश्यकता थी। ___ 'रामू' थोड़ी ही दूरी पर बैठा था, सेठ ने आवाज दी ।... 'रामू' तैयार हो गया। रामू ने अपने मस्तक पर घड़ा उठाया और चलने लगा। थोड़ी सी दूर चलने पर वह सोचने लगा-'अहो ! आज तो मेरा भाग्य खुल गया, अब सेठजी मुझे १ रु. देंगे. उस रुपये से मैं थोड़े चने ले आऊंगा""फिर उन चनों को बेचूंगा"मेरे पास धीरे-धीरे दस रु. हो जायेंगे. फिर मैं एक बकरी खरीद लूगा-फिर उस बकरी के बच्चे होंगे""धीरे-धीरे मेरे पास काफी बकरियाँ हो जाएंगी""फिर मैं एक भैंस खरीद लूगा भैंस के दूध का व्यापार करूंगा."फिर मेरे पास काफी रुपए हो जाएंगे""उसके बाद मेरी शादी हो जाएगी... फिर मेरे बच्चे होंगे "सब मेरी आज्ञा मानेंगे""हाँ! यदि बीबी ने मेरी प्राज्ञा नहीं मानी तो मैं यह घड़ा ही उस पर फोड़ दूंगा""और यह सोचते ही उसने घी का घड़ा भूमि पर पटक दिया"सारा घी धूल में मिल गया। रामू की सभी योजनाएँ एक ही क्षण में धरी-की-धरी रह गई और साथ में जूते पड़े वे अलग। ____ बस, इस संसार में मानव नाना सुखों की कल्पना करके अनेकविध साधन जुटाने के लिए प्रयत्न करता है, परन्तु 'मृत्यु' उसके महल को धराशायी कर देती है और उसका इस दुनिया से अस्तित्व ही मिट जाता है। ठीक ही कहा है शान्त सुधारस विवेचन-१६०
SR No.022306
Book TitleShant Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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