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________________ भारत की यह पवित्र आर्यभूमि ! जहाँ की सन्नारियों ने अपने शील के रक्षण के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की थी। क्या ऐसी शीलवती सन्नारी का एक भी उदाहरण हमें अनार्य देश में मिल सकेगा ? कुछ ही दिनों पूर्व एक मासिक पत्र में पढ़ा था-"ब्रिटेन की २/३ युवतियां अपने लग्न के पूर्व ही गर्भवती बन जाती हैं।" उन अनार्यदेशों में शील के रक्षण की व्यवस्था भी कहाँ है ? इसीलिए पूज्य उपाध्यायजी म. फरमाते हैं कि मनुष्य-जन्म मिलने के बाद भी प्रार्यदेश प्राप्त न हो और अनार्यदेश में जन्म मिले तो वह मनुष्य का जन्म भी आत्मा की भयंकर अधोगति करा देता है। जिस जन्म से तरने की सम्भावना है, उसी जन्म को प्राप्त कर आत्मा डूब जाती है। इससे अधिक अफसोस की बात और क्या हो सकती है ? आर्यदेशस्पृशामपि सुकुलजन्मनां , दुर्लभा विविदिषा धर्मतत्त्वे । रतपरिग्रहभयाहारसंज्ञातिभि हन्त ! मग्नं जगद्-दुःस्थितत्वे, बुध्य० ॥ १६६ ॥ अर्थ-पार्यदेश में रहने वाले और उत्तम कुल में जन्म लेने के शान्त सुधारस विवेचन-६३
SR No.022306
Book TitleShant Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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