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महोपाध्याय श्री विनय विजयजी विरचित
शान्त सुधारस
( हिन्दी - विवेचन )
भाग : प्रथम
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विवेचनकार
जिनशासन के महान् ज्योतिर्धर सुविशाल गच्छाधिपति प्राचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. के तेजस्वी शिष्यरत्न अध्यात्मयोगी पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकर विजयजी गरिणवर्यश्री के चरम शिष्यरत्न
मुनिश्री रत्नसेन विजयजी
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प्रकाशक
स्वाध्याय संघ
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