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________________ के बच्चे को रोक कर कहा-"तुम क्यों भाग रहे हो ? सिंह होते हुए तुम इतने डरपोक कैसे बन गए ?" सिंह के ये प्रश्न सुनते ही सिंह का बच्चा विचार में पड़ गया- "मैं तो भेड़ हूँ, मुझे यह सिंह कैसे कह रहा है ?" सिंह ने सोचा-"यह भ्रम में है, अतः इसे नदी किनारे ले जाना चाहिये ।" सिंह उस सिंह के बच्चे को नदी किनारे ले गया और नदी के जल में उसने अपना तथा उसका प्रतिबिम्ब दिखलाया। ज्योंही सिंह के बच्चे ने अपना प्रतिबिम्ब देखा, त्योंही वह उछल पड़ा "अहो ! मैं भी सिंह हूँ...और इसके साथ ही उसकी दीर्घकाल से घर कर गई कायरता दूर भाग गई, शौर्य प्रगट हो गया और उसने सिंह की भाँति ही गर्जना कर दी।" । अब आप बतला सकोगे न कि उस सिंह के बच्चे में शौर्य कहाँ से आया? जवाव यही होगा-"जब उसे स्व स्वरूप का भान हो गया।" स्व स्वरूप के ज्ञान के साथ ही सिंह के बच्चे में रही सुषुप्त शक्ति जागृत हो गई। बस, इस एकत्व भावना में भी हमें यही जानने का है कि 'मैं एक प्रात्मतत्त्व हूँ', ज्ञान-दर्शन और चारित्र ही मेरी सम्पत्ति है। इसके सिवाय अन्य समस्त पदार्थ मुझ से भिन्न हैं । शान्त सुधारस विवेचन-१२२
SR No.022305
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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